“कितनी बार कह चुका हूँ नही बर्दास्त होता है यार” रोहन ने चिल्लाते हुए प्रेरणा से कहा। “तुम्हारा यूँ मुझसे दूर जाना कचोटता है, लगता है मैं टूट रहा हूं बिखर रहा हूँ।” कहते-कहते उसका गला रुँध गया था। प्रेरणा मानो बूत बने चुपचाप सब कुछ सुन रही थी। उसकी आँखों के आँसू पलकों के झपकने का इंतज़ार कर रहे थे। तभी रोहन ने उसे बाहों में भीच कर उसके होंटो पर अपने प्यार की मोहर लगा दी। दोनों की आँखों से बह रहे आँसुओ को देख कर किसी को भी इनके जज्बातों का अहसास हो जाता।
“जानती हो प्रेरणा जब से तुम मेरी ज़िंदगी मे आई हो मेरा सब कुछ बदल गया है। सोते, जागते, उठते, बैठते सिर्फ तुम्हारा ही ख्याल रहता है। दिल करता है हर पल तुमसे बात करूं तुम्हारे पास रहूँ। क्या तुम्हे भी ऐसा ही लगता है प्रेरणा?” रोहन ने प्रेरणा का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए उससे पूछा।
“यस रोहन मैं भी तुम्हे इतना ही प्यार करती हूँ। यूँ डोंट नो एंड विल नेवर बी एबल टू उंडरस्टेण्ड। तुम्हे नही पता रोहन तुम मेरे लिए क्या अहमियत रखते हो।” कहते हुए प्रेरणा ने उसे जवाब दिया।
अलौकिक प्रेम पाश में बंधे दो प्रेमी अपनी अंतरंग संवेदनाओ को शब्दों में पिरो कर उसे नया अर्थ देने की कोशिश कर रहे थे।
“प्रेरणा, एक बात कहूँ बुरा तो नही मानोगी?” कह कर रोहन प्रेरणा के भावों को पढ़ने लगा। “नही रोहन कहो क्या कहना चाहते हो, वैसे भी तुमने आज मुझे बहुत कुछ कह दिया है मैं ये भी सुन लूँगी।” कह कर कॉन्फिडेंट प्रेरणा ने उसे अपनी बात कहने का मौका दिया।
“प्रेरणा में नही चाहता कि कोई तुम्हारे पास भी आये। तुम्हे नजर भर कर देखे भी। मैं नही सोच सकता किसी को भी तुम्हारे नजदीक।” कहते हुए रोहन ने प्रेरणा के हाथों को कस कर पकड़ लिया मानो वो उसे अपनी पूरी ताकत से इस कायनात से छीन लेगा अपने लिए, खुद के लिए। “ऐसा क्यों सोचते हो रोहन मैं तुम्हारी हुँ सिर्फ तुम्हारी, मेरी आँखों मे देखो क्या नजर आता है तुम्हे?” ये कहते वक़्त उसकी नजरे रोहन पर घड़ी हुई थी।
रोहन जो प्रेरणा के प्रेम में आसक्त, जिसका हृदय प्रेरणा की आहट से ही स्पंदित हो जाता था आज अंतर्द्वंद्व के भाव से किसी उलझन को ओढ़े था। और शायद प्रेरणा उसे पढ़ भी पा रही थी। “क्या हुआ है रोहन?” साफ साफ कहो? प्रेरणा ने सीधा सवाल दाग दिया।
“प्रेरणा मुझे तुम्हारा लोगो से सोशल मीडिया पर चेटिंग करना वक्त बे वक्त बाते करना अच्छा नही लगता, अब तुम इसे मेरा पागलपन समझो, प्यार या ऑब्सेशन।” रोहन की इस बात ने न जाने कितने नए सवालों को जन्म दे दिया। प्रेरणा इस उधेड़बुन को समझने की कोशिश करते हुए रोहन को समझाती है कि वो रोहन के प्यार की कद्र करती है और उसकी इनसिक्योरिटी की फीलिंग्स को भी समझती है। “ओह रोहन! आई लव यू ऐसा नही है तुम बहुत सोचते हो यार। मै किसी से भी इतना कनेक्ट या कंसर्न नही रहती। तुम फिजूल की टेंसशन मत लो। आई एम आल योर्स!” प्रेरणा की बातों की सच्चाई उसकी कॉन्फिडेंट आवाज और स्पर्श में रोहन अनुभव कर सकता था।
बहरहाल रात के 11 बज चुके थे तो प्रेरणा ने अपनी बात को यही विराम देते हुए “चलो अब रात बहुत हो गई है, मुझे जाना चाहिये हम कल फिर मिलेंगे, और हाँ प्लीज् इतना मत सोचा करो। आई लव यू।” एक हल्की सी मुस्कान के साथ रोहन ने उसे जाने की इजाज़त दे दी।
दो कदम पर जाते ही प्रेरणा ने मुड़ कर रोहन को कहा ” हे विल यु प्लीज् पास मी माय फ़ोन” “यस श्योर” कहते हुए रोहन ने प्रेरणा का फ़ोन हाथ मे लिया और फोन बज उठा , स्क्रीन पर लिखा था शेखर कॉलिंग ।
महज एक इतेफाक…….….