Shahi Funeral (eBook) – 2015

a comic satire

Genre: Drama/Play | Language: Hindi | Available at : Pothi.com

Synopsis :

मध्यमवर्गिय परिवार के मूखिया रतनलाल ने अपने बेटे मोहनदास को खूब पढ़ा लिखा कर काबिल इन्सान बनाया यहां तक कि इकलौता होने के बाद भी उसकी इच्छा के चलते अमरिका तक भेज दिया। इस सबके पिछे अपने बेटे मोहनदास को इस आधुनिक, उपभोक्तावादी समाज की प्रस्पिर्धा में आगे देखने की चाह भी रतनलाल के मन में भी रही होगी। इस भाग दौड में उम्र के सातवें दशक में एक रात अचानक रतनलाल की मौत हो जाती है। रतनलाल का मुह लगा नौकर इस बात की खबर अमरिका में रह रहे रतनलाल के बेटे मोहनदास को देता है। अपनी व्यस्ततमक जिवनशैली में भारतिय रिति-रिवाज दाहसंस्कार आदि की परेशानी मोहनदास को अपने पिता की मौत के दुख से अधिक लगती है और इससे बचने के आसान तरिके में मोहनदास अपने पैसो के बल पर दाहसंस्कार का काम एक इवेन्ट मेनेजमेन्ट कम्पनी को दे देता हैै। ऐसे में मानविय मूल्यों और भारतिय संस्कृति के अनुसार मनुष्य के अन्तिम संस्कार के इस नववाचार को हास्य व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है साथ ही अन्धाधुनिकरण और मानविय मूल्यों के अन्र्तध्वन्ध को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है।

Shahi Funeral Theatre Show by LOKESH MOHAN KHATTAR, HISAR



Sarkari Naukari

a comic satire

Genre: Drama/Play | Language: Hindi | Available at : Pothi.com

Synopsis :

वर्तमान समाज में उपभोक्तावाद की पल्लवित होती संस्कृति में झूठे दिखावे और दम्भ के चलते हम लोगों ने अपने जीवन मे साधनों को साध्य में बदल लिया है और अपनी इन्हीं ख्वाहिशों को पूरा करने की होड़ में लग गये हैं। हमें इन्ही कृत्रिम आवश्यकताओं अथवा तृष्णाओं की पूर्ति में सही-गलत का भी भान नहीं है, उचित-अनुचित किसी भी प्रकार से हमें अपनी इच्छाओं की पूर्ति करनी है, और तो और हम अनुचित मार्ग अपना कर भी उसे न्यायोचित बना लेने की पुरजोर कोशिश करते हंै जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। मेरी इस कहानी की मुख्य पात्र प्रेरणा भी इसी लोलुपता के चक्कर में क्या कुछ कर गई और फिर क्या हुआ जानने के लिए पढ़िये ‘‘सरकारी नौकरी’’।


Expert’s Opinion

लोकेश पालीवाल जी का नाटक सरकारी नौकरी पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। नाटक एक अलग तरह की विषय वस्तु लिए है और ऐसी विषय वस्तु नाटक में शायद पहली बार आई है।

लोकेश जी का यह तीसरा नाटक है उन्हे मेरी शुभकामनाएं! आशा करता हूँ कि भविष्य में वे और भी बेहतर नाट्य लेखन की ओर प्रवृत होंगे।

– भानु भारती

काफी लंबे अंतराल के बाद एक अच्छा एवम् मौलिक हिंदी नाटक पढ़ने का अवसर मिला। बड़ी ही उम्दा रचना है ये नाटक। सरल एवम् आम भाषा में रचित एक हास्य कथा के माध्यम से सटीक कटाक्ष बेरोजगारी पर किया गया है । मानव के मूलभूत अधिकारों में एक आजीविका भी है।परन्तु कई लोग लघु श्रमऔर नगण्य ज़िम्मेदारी और आराम वाले रोजगार की महत्वाकांक्षा रखते हैं । ये सब उनको सरकारी नौकरी में नजर आता है उसके लिए कई तरह के हथकंडे और जुगाड़ बिठाते हैं।इसी विषय को हास्य नाटक में भाई लोकेश पालीवाल ने बड़े सहज तरिकेसे सजाया है। बहुत बधाइयां। विश्वास है आगे भी लोकेश सारगर्भित रचनाएं रचते रहेंगे। भविष्य की शुभकानाएं।

दीपक दीक्षित।


GAVARI – Mewar’s Electrifying Tribal Dance Drama An Illustrated Introduction

Illustration and designed

Genre: Cultural | Language: Hindi/English | Available at : AMAZON

Synopsis :

A brief illustrated introduction to the spectacular, centuries-old but still “undiscovered” Gavari dance-drama, the Bhil tribe’s 40-day folk opera in India’s princely state of Mewar. Gavari ceremonies offer a stunning swirl of enchanting dance, mythic history, biting satire and religious ecstasy. Participants go shoeless, celibate and strictly vegan for the entire 40-day cycle, and offer 6- to 7-hour performances in a different village every day. Thematically Gavari playlets celebrate Nature, courage and goddess energy as well as publicize trials affecting their lives. Despite being a marvelously unique folk theater tradition that lights up hundreds of villages around Udaipur each September, it remains unknown to the outside world both in India and abroad. This mysterious disregard is now threatening its future and this booklet attempts to suggest both Gavari’s rough glory and how it enriches our world.

Upcoming …

Monologue on MANGADH – Bhagat Andolan

Genre : – Research based documentation for IGNCA, New Delhi, INDIA

Novel on MANGADH

Genre : Friction based on massacre at MANGADH

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